By Our Special Correspondent
September 17, 2024
भोपाल : म्युनिसिपल कारपोरेशन भोपाल किस तरह से मध्यप्रदेश शासन के आदेशों की धज्जियाँ उड़ती है , सिर्फ इस लिए की एक कथित भ्रष्ट और विवादास्पद अधिकारी का प्रमोशन कैंसल कर उसे डिमोट कर बाबू न बनाना पड़े। इसका जीता जागता उदाहरण सहायक जनसम्पर्क अधिकारी प्रेम शंकर शुक्ला (मूल पद ट्रेसर ) हैं।
मध्यप्रदेश शासन ,नगरीय विकास एवम आवास विभाग, मंत्रालय ने दिनांक 7- 10- 2017 के आदेश से प्रेमशंकर शुक्ला ,सहायक जनसम्पर्क अधिकारी को तत्काल प्रभाव से उनका सहायक जनसम्पर्क अधिकारी के पद पर हुए प्रमोशन को कैंसिल कर उनके मूल पद ट्रेसर ( वेतनमान 975 से 1650 ) पर डिमोट करने का आदेश 7- 10- 2017 को दिए थे। ट्रेसर एक क्लॉस थ्री पोस्ट है जो आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट में होती है। मगर छै साल से अधिक होने के बाद भी प्रेमशंकर शुक्ला का न तो प्रमोशन कैंसल किया गया और न ही रेट्रोस्पेक्टिव एफेक्ट से उनको जायदा दि गई सैलरी की रिकवरी हुई है।
तत्कालीन उपसचिव भरत यादव ,मध्यप्रदेश शासन , नगरीय विकास एवम विकास विभाग के दिनांक 7- 10- 2017 के आदेश के ऑपरेटिव पार्ट के मुताबिक प्रेमशंकर शुक्ला की सहायक जनसम्पर्क अधिकारी के पद पर किया गया प्रमोशन आरम्भ से ही शून्यवत होने से तत्सम्बंध में पारित समस्त आदेश अमान्य करते हुए , उक्त पदोन्नती निरस्त की जाती है। साथ ही आयुक्त , नगर निगम भोपाल को उपरोक्त के सम्बन्ध में तत्काल समुचित कार्यवाही करने के लिए आदेशित किया जाता है।
भरत यादव जिन्होंने प्रेमशंकर शुक्ला के सहायक जनसंपर्क अधिकारी के आदेश को कैंसल कर डिमोट कर के उन्हें बाबू बनाने के आदेश डिप्टी सेक्रेटरी , नगरीय विकास एवम आवास विभाग की हैसियत से दिए थे , संयोगवश आज वोह आयुक्त, नगरीय प्रशासन एवम विकास है।
शासन ने हाई कोर्ट , जबलपुर के दिनांक 13- 07- 2017 को दिए गए आदेश के परिपेक्ष में प्रेमशंकर शुक्ला का सहायक जनसम्पर्क अधिकारी की पोस्ट पर किये गए प्रमोशन को कैंसिल कर, उनके मूल पद ट्रेसर पर डिमोट करने के आदेश दिए थे। हाईकोर्ट ,जबलपुर ने यह आदेश भोपाल नगर निगम की एक कर्मचारी और प्रेमशंकर शुक्ला की सहकर्मी प्रेमलता सैनी की एक पेटिशन का निपटारा करते हुए दिए थे।,प्रेमलता सैनी ने अपनी पेटिशन में कोर्ट से यह प्राथना की थी की उनको भी उसी आधार पर सहायक जनसम्पर्क अधिकारी या सहायक अधीक्षक के पद पर प्रमोट किया जाये , जिस आधार पर प्रेमशंकर शुक्ला को प्रमोट कर सहायक जनसम्पर्क अधिकारी बनाया गया है। कोर्ट ने अपने आदेश में शासन को छै हफ्तों में प्रेमलता सैनी की पेटिशन का निपटारा एक स्पीकिंग और रीजन्ड आर्डर के द्वारा करने को कहा था। हाई कोर्ट ने शासन को यह भी आर्डर दिया था के प्रेमलता सैनी और प्रेमशंकर शुक्ला दोनों को ही अपना अपना पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाये।
शासन ने प्रेमशंकर शुक्ला का सहायक जनसम्पर्क अधिकारी की पोस्ट पर हुए प्रमोशन को इस आधार पर गलत माना की नगर निगम भोपाल में सहायक जनसम्पर्क अधिकारी के पद की पूर्ति सीधी भर्ती से करने की शर्त को दिनांक 13- 8- 2008 को विलोपित कर दिया गया था। किन्तु उक्त शर्त के विलोपन से पहले ही दिनांक 30- 08- 2003 को प्रेमशंकर शुक्ला को संपादक की पोस्ट पर (वेतनमान 5500 से 9000 ) प्रमोट किया गया। बाद में दिनांक 20- 06- 2005 के आदेश से संपादक के पदनाम को परिवर्तित कर सहायक जनसम्पर्क अधिकारी का नाम दे दिया गया। इस तरह दो चरणों में नगर पालिका निगम भोपाल द्वारा प्रेमशंकर शुक्ला (मूल पद ट्रेसर ) को सहायक जनसम्पर्क अधिकारी की पोस्ट पर प्रमोट कर दिया गया। शासन ने प्रेमशंकर शुक्ला को ट्रेसर से पहले संपादक की पोस्ट पर प्रमोट करने और फिर संपादक के पदनाम को बदल कर सहायक जनसम्पर्क अधिकारी बनाने को अपने समसंख्यक आदेश दिनांक 27- 08- 2015 की कंडिका छै का उल्लंघन पाया।
शासन ने प्रेमलता सैनी को उनके दवारा मांगे गए रिलीफ को इस ग्राउंड पर देने से मना कर दिया की, उनके पास सहायक जनसम्पर्क अधिकारी की एजुकेशनल क्वॉलिफिकेशन्स नहीं हैं।
इंडिया वन समाचार ने सुश्री टीना यादव एडिशनल कमिश्नर से शासन के आदेश पर प्रेमशंकर शुक्ला का सहायक जनसम्पर्क अधिकारी की पोस्ट पर किये गए प्रमोशन को छै साल से अधिक होने के बावजूद भी कैंसिल नहीं करने पर निगम का पक्ष जानने की कोशिश की, तो सुश्री टीना यादव ने पहले अपने अधीनस्थ के माध्यम से मिलने की वजह जानी और फिर मिलने से मना कर दिया। नगर निगम द्वारा जब भी प्रेमशंकर शुक्ला मामले में ऑफिशियल वर्शन मिलेगा उसे उतनी ही प्रमुखता से छापा जायेगा , जिस प्रमुखता से यह समाचार छापा गया है।
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